भगवान कृष्ण का जीवन हमें सबसे कठिन परिस्थितियों में प्रेषित करने की शक्ति देता है

राधा और कृष्ण का प्रेम मां गंगा के समान शुद्ध है, दोनों एक दूसरे के परस्पर होने के बाद भी मिलने के लिए तरसते है।

साथ को तेरे तरसे बात को तेरे तरसे, उसका होकर भी एक मिलन को तरसे।

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कृष्ण और राधा मिलना तो एक बहाना था, इस दुनिया को प्यार का सही मतलब बताना था।

एक दूजे से बात करने का सोचते हैं, एक दूसरे की मिलने की संभावना तक नहीं है।

दुनिया कहते कि अपनों के आगे झुक जाओ, लेकिन जो अपने होते हैं वह कभी झुकने नहीं देते।

सुख और दुख का आना सर्दी गर्मी क्या नहीं जैसा है, इसलिए इन्हें सहन करना ही सबसे उचित मार्ग है।

मां का सारा महल मिटा दो चारों धाम मेरे अंदर है, राम भी मेरे अंदर है और शिव भी मेरे अंदर है।

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