Krishna Motivational Story In Hindi: हेलो दोस्तों क्या आपने भी भगवान श्री कृष्ण की कहानी पढ़ी है या उनके बारे में पढ़ना चाहते हैं तो आज Krishna Motivational Story In Hindiलेख के माध्यम से आप सबको भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी बहुत सारी सत्य कहानियां के बारे में बताएंगे।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मथुरा में हुआ था। भगवान श्री कृष्ण की कहानी बच्चों बड़ों और हर उम्र के व्यक्ति को पसंद आती है क्योंकि उनका व्यक्तित्व ही ऐसा शानदार था। उनके जीवन से बहुत सारी ज्ञान की बातें हमें सीखने को मिलती है। भगवान श्री कृष्ण को कई नाम से जाना जाता है जिसे माखन चोर कृष्ण बाल कृष्ण राधा कृष्ण गोपाल माधव आदि।
आज हम इस पोस्ट के माध्यम से श्री कृष्ण जी के बचपन से लेकर बड़े होने तक की कई कहानियों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। बहुत से कहानी ऐसी भी होती है जो हम अपने माता-पिता या अपने परिवार के किसी सदस्य से बचपन में सुने होंगे तो चलो आज हम लेख को ध्यान से अंत तक पढ़ते हैं और जानते हैं, Krishna Motivational Story In Hindi, Krishna Motivation, Short Motivational Story In Hindi, Krishna Thoughts In Hindi?
श्री कृष्ण की प्रेरित कहानियां | Krishna Motivational Story In Hindi
Krishna Motivational Story In Hindi
Contents
- 1 कृष्ण जी माखन चोर | Krishna Thoughts In Hindi
- 2 कृष्ण और सुदामा | Krishna Motivational Story In Hindi
- 3 कृष्ण और पूतना | Krishna Motivational Story In Hindi
- 4 श्री कृष्णा और गोवर्धन पर्वत | Krishna Motivational Story In Hindi
- 5 FAQ : Krishna Motivational Story In Hindi
- 6 निष्कर्ष : Krishna Motivational Story In Hindi
कृष्ण जी माखन चोर | Krishna Thoughts In Hindi
बचपन में ही कान्हा जी को माखन खाने का बहुत शौक था। और जैसे-जैसे वह बड़े होते गए उनकी माखन खाने का शौक और भी बढ़ता गया कान्हा जी अपने ही घर में माखन चोरी करके खाते थे। जिसके चलते मां यशोदा से उनको काफी डांट पड़ती है। वह मिट्टी की एक छोटे बर्तन में हांडी में डालकर माखन को लटका देती थी और श्री कृष्णा उसे हांडी को फोड़ के उसमें से माखन खा लेते थे।
पर उनकी माखन खाने की यह लालसा यही नहीं रुकी जब भी बाहर निकलने लगी तो वह माखन अपने दोस्तों के साथ खाने लगे कृष्ण जी और उनके दोस्त पूरे गोकुल में दूसरों के घरों में जाते और माखन चुरा चुरा के खाने लगे श्री कृष्णा और उनके दोस्त एक गोल घेरा बनाते और एक के ऊपर एक चढ़कर माखन की हांड़ी तक पहुंच जाति और हांडी तोड़कर माखन को खा लेते जब गांव की सभी औरतों को पता चला कि यह गाना हांडी तोड़कर माखन चुराता है तो वह मां यशोदा के पास गई और माता यशोदा को उसने सारी बात बताई माता यशोदा यह सुनकर कृष्ण जी को रस्सी से बांध दी।
कृष्ण और सुदामा | Krishna Motivational Story In Hindi
यह तो आप सब ने सुना होगा कि कृष्ण जी और सुदामा बचपन के मित्र थे उन दोनों ने एक साथ एक जगह पर शिक्षा ग्रहण की थी सुदामा जी एक गरीब ब्राह्मण परिवार से थे। इसलिए वह दिन भर पांच घरों में भिक्षा मांग कर लाते और अपना पेट प्लेट थे उनको जितना मिलता था वह उसी में अपना गुजारा कर लेते थे परंतु इतनी सी भिक्षा उनके लिए पर्याप्त नहीं थी उनके परिवार का पालन पोषण इससे नहीं हो पा रहे थे।
सुदामा की पत्नी अपने परिवार की यह दुर्दशा देख मन ही मन परेशान होती थी उनको पता था कि सुदामा और कृष्णा एक दूसरे के मित्र हैं और कृष्ण द्वारिक के महाराजा थे। तभी सुदामा की पत्नी ने सुदामा को कई बार कृष्ण से मदद मांगने के लिए कहा परंतु सुदामा ने बार-बार मना कर दिया परंतु अपने परिवार की दशा को देखकर और पत्नी के बार-बार दबाव डालने पर वह श्री कृष्ण से मदद मांगने के लिए तैयार हो गए।
एक दिन वह द्वारिका जाने के लिए निकल पड़ते हैं। उसे समय वह पैदल ही द्वारका की रास्तों पर चलते जाते हैं। उनके मन में संकोच और लज्जा थी लेकिन फिर भी अपने परिवार के लिए वह नंगे पांव ही द्वारिका की ओर चल पड़ते हैं।
काफी दूर रास्ता चलने के बाद उनको एक बैलगाड़ी मिलती है जिस पर एक व्यापारी का माल लगा हुआ था।उसे आदमी ने सुदामा को द्वारका चलने के लिए अपनी गाड़ी में बैठा लिया जब वह दोनों द्वारका के निकट पहुंचे तब बैलगाड़ी वाले ने कहा कि अब आपका रास्ता यहां से अलग है।
मेरा अलग है सुदामा आगे चलने के बाद वहां से वापस आ गया और उसने कहा कि मैं इस पल गाड़ी वाले को धन्यवाद बोल आता हूं लेकिन जब सुदामा पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्होंने पाया वहां कोई भी बैलगाड़ी वाला नहीं था। इस दृश्य को देखकर सुदामा की आंखों में आंसू छलके और भी समझ गए कि यह कोई और नहीं है उनके ही मित्र श्री कृष्ण की लीला है।
इसे भी पढ़े :- नवरात्री की कहानी ?
इसे भी पढ़े :- दिवाली की शुभकामनाएं हिंदी में ?
इसे भी पढ़े :- पढ़िए? नवरात्री की कहानी ?
वह यह देखकर अपने रास्ते पर आगे बढ़ने और द्वारिका के मुख्य द्वार पर पहुंच गए लेकिन जब वह वहां पहुंचते हैं। तो द्वारपालों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया सुदामा जी ने कहा कि वह श्री कृष्ण के मित्र है लेकिन द्वारपाल उनकी दुर्दशा देखकर हंसने लगे और कहे तुम और हमारे श्री कृष्ण के मित्र ऐसा हो ही नहीं सकता और उनको द्वारा से ही वापस लौटा दिया गया। लेकिन जब यह बात श्री कृष्ण को पता चली तो वह अपने महल से नंगे पांव ही दौड़े सुदामा जी ने द्वारिका का काफी रास्ता तय कर लिया था।
लेकिन कृष्ण जी उनके पास दौड़ते दौड़ते गई और उनका आवाज दे जब सुदामा जी ने पीछे मुड़कर देखा तो श्री कृष्ण जी ने उनको गले से लगा लिया और यह दृश्य काफी मनमोहक था। सुदामा और श्री कृष्ण के आंखों से अश्रु धारा बह रही थी।
वह एक दूसरे से कुछ भी कह नहीं पा रहे थे कुछ देर बाद मिलने की श्री कृष्ण ने सुदामा जी से आग्रह किया कि वह उनके महल में जाए उनके महल में जाने के बाद सुदामा जी को अपने सिंहासन पर बैठकर उनके पैर धोए और कहा मेरे लिए क्या लाए हो सुदामा जी के पास कुछ भी नहीं था। सिर्फ चावल के कुछ दाने थे सुदामा जी ने वह छुपा दिए तब श्री कृष्ण जी ने कहा जो तुम्हारे पीछे छुपा है मुझे वही खाना है और जब सुदामा ने कान्हा जी को चावल दिए तो वह उनको खाकर सुकून से तृप्ति हो गए।
कृष्ण और पूतना | Krishna Motivational Story In Hindi
यह बात तो पूरा भारत वर्ष जानता है कि कृष्ण के हां तो ही कंस का वध लिखा था और यह बात कांच को पता थी इसलिए जब उसको पता लगा कि कृष्णानंद गांव में है तब उसने एक राक्षस सीखो जिसका नाम उतना था उसको कृष्ण के गांव भेज पटना नाम की राक्षसी ने एक सुंदर सी महिला का रूप धारण किया और नंद के गांव पहुंच गए वहां जाकर उसने कृष्ण को घर-घर ढूंढना शुरू किया उसे लगा कि ऐसे तो कृष्ण का पता कभी नहीं लगेगा इसलिए उसने उसे गांव की हर बाल शिशु को अपना दूध पिलाने के बहाने बुलाया और उसका दूध पीते ही वह बाल शिशु मर जाते थे।
अंत में सिर्फ एक बच्चा ही बचा था जिसका नाम था कृष्णा जब वह कृष्ण को चुराती है और अपने साथ कहीं दूर लाकर उसको अपना दूध पिलाती है तो वह दर्द से ठीक उठती है। और उसका सुंदर रूप एक राक्षसी के रूप में बदल जाता है श्री कृष्णा सही सलामत बसते हैं जब पूरा गांव वहां जाकर देखा है तो पटना मरी हुई पड़ी मिलती है और श्री कृष्णा उसके ऊपर खेल रहे होते हैं।
श्री कृष्णा और गोवर्धन पर्वत | Krishna Motivational Story In Hindi
एक समय की बात है कि वृंदावन में लोग गोवर्धन नाम के पर्वत की पूजा करने लगे थे सब लोगों ने श्री कृष्ण के कहने पर उसे पर्वत की पूजा करना शुरू कर दिया था। और इंद्रदेव की पूजा नहीं करते थे इस बात पर देवराज इन बहुत ही क्रोधित हो गए उनके अंदर यह आया कि यह लोग मेरी पूजा ना करके इस पर्वत की पूजा कैसे कर सकते हैं और इस बात से वह क्रोधित हो गए।
जब देवराज इंद्र क्रोधित होकर यह सब देखें तो उन्होंने फैसला किया कि इस अपराध का दंड तो इन लोगों को देना ही पड़ेगा और ब्रिज गांव के ऊपर बहुत ही घनघोर बादल छाई उसे वक्त ब्रिज गांव की दशा खराब होने लगी। लगातार तेज आंधी और कड़कती बिजली के बीच मूसलाधार बारिश होने लगी बारिश का कर इतना ज्यादा हो गया कि गांव में बाढ़ आने की नौबत आ गई।
बारिश इतनी तेज होने लगी थी कि लोग और लोगों का सामान घर से बहने लगा था हर व्यक्ति डर के साए में चला गया लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या करें तब भगवान श्री कृष्ण ने सबको संभाला और परिस्थिति को पूरी तरीके से जानने के बाद उन्होंने गांव वालों के साथ था के लिए एक उपाय सोचा उन्होंने सभी गांव वालों को गोवर्धन पर्वत के पास ले गए और उसे पर्वत को अपने एक उंगली पर उठा लिया। और वह पर पूरे गांव के लिए एक छतरी का काम करने लगा पूरा गांव उसे गोवर्धन पर्वत के नीचे जाकर छुप गया।
इसे भी पढ़े :- दिवाली हिंदी शायरियाँ 2023 ?
इसे भी पढ़े :- कहानियां आँखों में जूनून भर देंगी ?
इसे भी पढ़े :- विद्यार्थियों का जीवन बदल जायेगा ?
जब उन्होंने अपनी उंगली पर पर्वत को उठाया तो सारे गांव वाले और जानवर उसे पर्वत के नीचे आने लगे और इस प्रकार श्री कृष्ण ने सब गांव वालों की रक्षा करें भगवान श्री कृष्ण को पता था। कि यह काम इंद्रदेव ने किया है क्योंकि गांव वालों ने उनकी पूजा नहीं की इस चमत्कार को देखकर लोग हैरान होने लगे जब देवराज इंद्र को यह दृश्य दिख तो उन्हें अपनी गलती का एहसास होने लगा और बादलों को उन्होंने आदेश दिया कि वह वापस लौट आए इस प्रकार से बारिश का कहर रुक और लोग अपने घरों की तरफ जाने लगे।
FAQ : Krishna Motivational Story In Hindi
Q 1.कृष्ण जी को सबसे प्रिय पत्नी कौन थी?
भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय पत्नी रुक्मणी थी वह लक्ष्मी का अवतार थी।
Q 2.कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी।
Q 3.राधा कौन थी?
कृष्ण की प्रेमिका राधा थी आज भी उनको राधा कृष्ण नाम से जाना जाता है।
निष्कर्ष : Krishna Motivational Story In Hindi
Krishna Motivational Story In Hindi लेख में आज हमें श्री कृष्ण के जीवन की कुछ कहानियों के बारे में जाना है। आज के समय में उनके जीवन के बारे में पढ़कर बहुत सी प्रेरणा मिलती है। वह हमें जीवन में हमेशा प्रेरित करते हैं उनके जीवन की ऐसी और भी कई कहानी है जिनको हम अलग-अलग लेख में बताएंगे आप Krishna Motivational Story In Hindi लेख को पढ़ें और बताएं आपको यह कहानी कैसी Krishna Motivational Story In Hindi लेख आपको कैसा लगा कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताए।
Related to Krishna Motivational Story In Hindi
- पावरफुल मोटिवेशनल पढ़ते ही जोश आ जायेगा
- 70 इंस्पिरेशनल कोट्स जो जीवन को बदल देंगे
- विद्यार्थी पढ़ने के लिए तड़प उठेंगे
- जीवन में सफलता पानी है? तो जाने
- कहानियां आँखों में जूनून भर देंगी
- गरीब आदमी को लोन कैसे मिलेगा
- जयपुर में घूमने की जगहें
- अपने सपनो को पूरा कैसे करे
- 10 मोटिवेशनल कहानिया जो जिंदगी बदल देंगी
- एपीजे अब्दुल कलाम सफलता की तीन महत्वपूर्ण बाते
- जानिए ? Lionel Messi को सफलता कैसे मिली